November 23, 2013

तुम्हारी शर्तों पर तुम्हे प्यार करें तो कैसे

तुम्हारी शर्तों पर तुम्हे प्यार करें तो कैसे
तुम पर अपनी हस्ती निसार करें तो कैसे

तुम मुस्कुरादो तो दिन खूबसूरत हो जाये
सोच रहे कि आज तुम्हे हंसाएँ तो कैसे

ज़िन्दगी कि हर मिठास खट्टी हो जायेगी
गुस्से में हम तुम्हे भला बुरा कहें तो कैसे 

तुम से किया हर वादा हम निभाएंगे मगर
तुम्हारे मन में छुपे डर को हटाएं तो कैसे

हर आशिक़ी में दिलचस्प मोड़ आतें हैं
हर मोड़ पे आशिक़ हँसता मिले तो कैसे 

October 12, 2013

ज़िंदगी के साथ चलता रहा कोई

ज़िंदगी के साथ चलता रहा कोई
हंसता रहा कोई रोता रहा कोई

एक पुरानी किताब महक उठी
पन्नों मे फूल दबा गया कोई

कोई इतना खामोश है तो क्यों
उस से जाने क्या कह गया कोई

यहाँ दोस्तों से इतनी दूर आ गये
क्या वहाँ हमे पूछता होगा कोई

सवाल ऐसे की जवाब बेमानी लगें
ये किस मकाम पे छोड़ गया कोई

क्या है इस ज़िंदगी का सबब
मिलाओ उस से जो जानता हो कोई