November 03, 2009

तुम बहुत अज़ीज़

तुम बहुत अज़ीज़ हो मुझे मगर
मेरी तकदीर के हिस्सेदार नहीं
बस साथ चलो हाथ पकड़कर
दिखाओ दोराहों पर दिशा नहीं

तुम लेना चाहते हो मेरे गम
और देना चाहते हो अपनी खुशियाँ
अगर ये सौदा हो सकता
दोस्तों की ज़रुरत पड़ती नहीं

तुम्हारी खुशियों पर चुप
तुम्हारी तकलीफ मे मौन
मेरी बेरुखी नहीं है दोस्त
मैं ज्यादा ज़ाहिर करता नहीं

इस मौसम बीमार पड़े हम
पिछले मौसम नासाज़ रहे तुम
तुम्हे जो दावा असर कर गयी
वो इस मौसम हमे लगी नहीं