April 06, 2020

फैसला किया है

तुमसे दूर रहने का फैसला किया है 
बड़ा मजबूर होकर फैसला किया है

तुम्हे अपना हक़ समझने लगा था
अब कद्र करने का फैसला किया है

ये मर्ज़ है नज़दीकियों से फैलता है
दूर से साथ देने का फैसला किया है

परेशानियों का हल मैं नहीं जानता
कोशिश करने का फैसला किया है

जिन रास्तों पर दौड़ना छोड़ दिया
फूलों ने खिलने का फैसला किया है

थोड़ी रौशनी या बहुत उम्मीद जो भी
एक दिया जलाने का फैसला किया है

अब तो फुरसत भी है हाथ भोपाली
कहो क्या करने का फैसला किया है

January 19, 2020

उनसे कहने को कुछ न रहा

उनसे कहने को कुछ न रहा
ये रिश्ता जो था वो न रहा

वो मंदिर धोता, मस्जिद भी
वो किसी धर्म का अब न रहा

शामें सोचते गुज़र जाती हैं
दौर पुराना क्यों और न रहा

गुमनाम आशिक़ कई हुए
हर एक नाम मशहूर न रहा

कुछ तेरा झूठ कुछ मेरा झूठ
सच बेचारा किसी का न रहा

जितना नज़र देख पाती है
पार उसके नज़रिया न रहा

थोड़ा-थोड़ा गलत हुआ बड़ा
तेरा चुप रहना ठीक न रहा

उसे मसीहा जब मान लिया
मुझ पर अब कोई भार न रहा

सर झुकाकर गुज़रे तमाम उम्र
भोपाली तेरा कंही चर्चा न रहा

January 02, 2020

कल की सुबह

न हो प्रेम पर सियासत
न प्रेम करना मुसीबत
न हो सवाल रंग, लिंग और मत
कल की सुबह भोपाली
बस प्रेम हो इंसां की विरासत

ये सरहदें कल न थी न होंगी
ये मसीहा कल न थे न होंगे
क्या सही-गलत जो हम न होंगे
ये चेहरे आज की छपाई हैं 
कल सूरतों पर रंग नये होंगे

जहाँ डर वहां समाज कैसा
जहाँ झूठ वो अखबार कैसा
मरे मज़दूर वो बाज़ार कैसा
आज कागज़ी पहचान जो हो
कल इंसान हो इंसान जैसा

न छोटे को डर हो बड़े का 
न बड़े को डर हो छोटे का 
बंद हो व्यापार भय का
हम सुनें भी और सुनने भी दें
कल मोल हो कम कहने का

शुरुआत बड़ी न हो, पर हो
उम्मीद पक्की न हो, पर हो
हिम्मत पूरी नहीं, पर हो
छोटे क़दमों से तय बड़े फासले
कल पहला कदम रास्ते पर हो