मैं घर से निकला
जाने कहाँ को निकला
मौसमी मर्ज़ समझा
दिल का रोग निकला
फूलों से हार निकले
गर्द से पेड़ निकला
कई हमदर्द निकले
बस एक दोस्त निकला
बारिश ने ज़ोर पकड़ा
चुनरी से रंग निकला
जिसे शिद्दत से चाहा
वही बे-वफ़ा निकला
जो था मंज़िल का निशां
वो नया रस्ता निकला
जिसे रकीब समझा
दिल का साफ़ निकला
ज़रा सा दम भर लूँ
फिर मैं भी निकला
भोपाली जाए कहाँ
ये अलग शहर निकला
जाने कहाँ को निकला
मौसमी मर्ज़ समझा
दिल का रोग निकला
फूलों से हार निकले
गर्द से पेड़ निकला
कई हमदर्द निकले
बस एक दोस्त निकला
बारिश ने ज़ोर पकड़ा
चुनरी से रंग निकला
जिसे शिद्दत से चाहा
वही बे-वफ़ा निकला
जो था मंज़िल का निशां
वो नया रस्ता निकला
जिसे रकीब समझा
दिल का साफ़ निकला
ज़रा सा दम भर लूँ
फिर मैं भी निकला
भोपाली जाए कहाँ
ये अलग शहर निकला
Thank you!
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