January 02, 2020

कल की सुबह

न हो प्रेम पर सियासत
न प्रेम करना मुसीबत
न हो सवाल रंग, लिंग और मत
कल की सुबह भोपाली
बस प्रेम हो इंसां की विरासत

ये सरहदें कल न थी न होंगी
ये मसीहा कल न थे न होंगे
क्या सही-गलत जो हम न होंगे
ये चेहरे आज की छपाई हैं 
कल सूरतों पर रंग नये होंगे

जहाँ डर वहां समाज कैसा
जहाँ झूठ वो अखबार कैसा
मरे मज़दूर वो बाज़ार कैसा
आज कागज़ी पहचान जो हो
कल इंसान हो इंसान जैसा

न छोटे को डर हो बड़े का 
न बड़े को डर हो छोटे का 
बंद हो व्यापार भय का
हम सुनें भी और सुनने भी दें
कल मोल हो कम कहने का

शुरुआत बड़ी न हो, पर हो
उम्मीद पक्की न हो, पर हो
हिम्मत पूरी नहीं, पर हो
छोटे क़दमों से तय बड़े फासले
कल पहला कदम रास्ते पर हो

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