November 29, 2016

मुझे गले से लगाओ

देखने से नाशा नहीं होता, जाम होठों से लगाओ
मैं दोस्त पुराना हूँ तुम्हारा, मुझे गले से लगाओ

इसकी डोर पकडे रखो मगर, ज़रा ढील भी दो कभी
ज़िन्दगी की पतंग है, इस पर रंगीन कागज़ लगाओ

हवायें नहीं खोजती खुशबू की वजह, उसे फैलातीं हैं
किसी को मुस्कुराता देखो, वो हंसी होठों से लगाओ

खाक में ज़िन्दगी छुपी है, बारिश होने पर देखो
नामुम्किन लग रहे हैं जो, वो ख़्वाब आखों से लगाओ

आँखों के इशारों से, न खत औ' रोशनाई से बयां होगा
इज़हार-ए-मोहब्बत के लव्ज़ों को होठों से लगाओ

तेज़ हवाएँ जो चलीं तो पेड़ों से, फूल-पत्ते झाड़ गए
उन्हें उठाकर बनायें एक वेणी, तुम बालों से लगाओ

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