August 22, 2014

नज़र आता है

हर एक नज़ारे का कोई एक रंग खूब नज़र आता है
उनकी नज़रों में हर नज़ारा हर रंग नज़र आता है

उन्हें तोफहे में फूल दूँ, पायल या दीवान-ए-मीर
फूल बेरंग, पायल बेसुर, मीर बेवज़न नज़र आता है

उनकी गलियों में पड़े रहते हैं यूँ तो सुबहो-शाम
छुप जाते हैं जब खिड़की पर उनका साया नज़र आता है

एक खत लिखकर कर दिया हवाओं के हवाले
देखें उनका जवाब बिजली में या बारिश में नज़र आता है

उनकी बेवफाई के किस्से सूनाकर खबरदार करते कई
उनका खामोश पुराना आशिक़ हौसला बढ़ाता नज़र आता है

इन नज़ारों को मौसम ने बहुत संवारा है लेकिन
हम क्या करें हमें बस उनका ही नज़ारा हसीन नज़र आता है 

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