January 16, 2012

हमसे साल नया फिर मिलने को है

उम्मीद को नया बहाना मिलने को है
हमसे साल नया फिर मिलने को है

दोस्त हमारे ये कह कर बुला लेते हैं
मैखाने में हम से कोई मिलने को है

उनकी बातें सुनने बादल भी चले आये
बेमौसम पानी की बूँदें मिलने को है

वो बूढ़ा आशिक पूरी शाम खामोश रहा
यकीनन कुछ नयी ग़ज़लें मिलने को है

सच न पूछो आडम्बर मेरा धूल जाएगा
दोस्त पुराना आज हमारा मिलने को है

जिन पेड़ों पर हमने अपने नाम खरोचे
शहर की सड़कें उन पेड़ों से मिलने को है