August 24, 2012

तो अच्छा

कुछ खतों के जवाब न आयें तो अच्छा
कुछ ख्वाब उठते बिसर जाएँ तो अच्छा

तुम से मिले तो बहुत सी उम्मीदें जगी
अगर तुम कुछ दूर साथ चलो तो अच्छा

शायद दुवाओं से भी फूल खिल जाएँ कंही
मांगे से यूं बहार मिल जाये तो अच्छा

वक़्त की पेचीदगी समझ भी गए तो क्या
ना समझे ही पार कर जाएँ तो अच्छा

दोस्तों से कहें कैसे की फिर आवारा हो चले
उन्हें खबर हमारी ज़माने से हो तो अच्छा

दर्द एक सोच है इसे महसूस न करो
ये दिल तक न पहुँचने पाए तो अच्छा