November 13, 2011

रंग भरने का जी करता है

इश्क में डूबे दिल को कहाँ सुकून रहता है
वो तो जाने कितने वहमों से भरा रहता है

ये महफ़िल भी बहाना है, क्या रखा इसमें
हर बार ही तेरे आने का इंतज़ार रहता है

सड़क की चहल-पहल से शहर नहीं बसते
ये तो लोगों की तहज़ीब से बसा करता है

कुछ कदम चल कर हार जाने को तैयार
ऐसे मंसूबों से कोई सफ़र किया करता है

कई सालों बाद एक तस्वीर बनायीं मैंने
मुझे भी कभी रंग भरने का जी करता है

मेरे लतीफों पर हँसते हैं सभी महफ़िल में
मेरे लतीफों में मेरा ही किरदार रहता है