May 27, 2011

ज़िन्दगी बाकि है जागो

यादों के कारवां जहाँ
संग ले जाएँ जाने कहाँ
रुक जाएँ कंही अगर
ढूंढे हमे कोई कहाँ

पल पल का हिसाब मांगो
ज़िन्दगी बाकि है जागो
गुज़रा पल धुवाँ हो जाता है
उस धुवें से दूर भागो

मंजिलों पर रस्ते नहीं रुकते
आंधी मे बरगद नहीं झुकते
पहुंचे जो ऊंची चोटियों पर
वो नदी किनारे नहीं बसते

May 18, 2011

गीत छोड़ गया कोई

साँसों पर जोर नहीं लेकिन
हौसला क्या छीनेगा कोई
कारवां रुक गया कंही पीछे
पर राही चलता रहा कोई

क़दमों के निशां नहीं बाकी
उसकी मंजिल का नहीं पता
यहाँ से गुज़रा जो मुसाफिर
पीछे गीत छोड़ गया कोई

फूलों पर आया प्यार जिन्हें
वो तोड़ ले गए संग अपने
एक मौसम वो भी आया
उनके कांटे ले गया कोई

उनकी बातों में खुशबू है
महक जाए जो मिले उनसे
कल शाम कुछ यूँ हुआ
उन्हें महका गया कोई

May 05, 2011

तुम्हे ही हमसफ़र मान बैठे

मसला हल करने जो बैठे
चमन को सरहदों से बाँट बैठे

तुम जो कुछ साथ चले
तुम्हे ही हमसफ़र मान बैठे

कश्तियाँ टूट के बिखर गयी
नाविक तिनके की आस पे बैठे

दिन में टूटा जो मजदूर
शाम को तारों की छाँव में बैठे

नायक की छवि तो उभरे
कब तक किरदार लिए बैठे