October 15, 2011

नदी के उस पार इंसान खुश रहता है

नदी के उस पार इंसान खुश रहता है
इस पार हर दिल में ये वहम रहता है

उनके हौसले की कहानियाँ हैं मशहूर
बिस्तर को इल्म तकिया नम रहता है

उन्हें कितनो से दिल लगाते देखा सबने
कौन जाने उनके दिल में कौन रहता है

मीलों के सफ़र की मंजिल ये इम्तेहान
पीठ पे लदे गठरे में छुपा डर रहता है

जब हद के पार रक्तरंजित हो जाए रण
क्षितिज पे उदास गौतम खड़ा रहता है

इस अनजान शहर में बस एक आसरा
मेरे गाँव का दुश्मन पडोसी रहता है

शोहरत की बुलंदियां कौन नहीं चाहता
तारों पे बस कुछ का नाम लिखा रहता है

कभी फुर्सत मिले तो हमसे आकर मिलो
अब भी हर खड़ी तुम्हारा ख्याल रहता है

October 06, 2011

प्यार और डर

जब दिल प्यार से भर जायेगा
तब दिल डर से भर जायेगा

जितना हम चाहते हैं तुम्हे
उनता ही डरते हैं तुम्हारे लिए
दुनिया बेईमान है, वक़्त बेरहम
जब अपनों से घर भर जायेगा
अंधविश्वासों से घर भर जायेगा

अपनों की मुस्कराहट जो है
ताक़त भी है, कमजोरी भी
ज़िन्दगी उसी पर टिकी हुई
खुशियाँ बटोरने जो जायेगा
खुशियों बचाता रह जायेगा

जब दिल प्यार से भर जायेगा
तब दिल डर से भर जायेगा