उम्मीद को नया बहाना मिलने को है
हमसे साल नया फिर मिलने को है
हमसे साल नया फिर मिलने को है
दोस्त हमारे ये कह कर बुला लेते
मैखाने में हम से कोई मिलने को है
उनकी बातें सुनने बादल भी चले
बेमौसम पानी की बूँदें मिलने को है
वो बूढ़ा आशिक पूरी शाम खामोश
यकीनन कुछ नयी ग़ज़लें मिलने को है
सच न पूछो आडम्बर मेरा धूल जा
दोस्त पुराना आज हमारा मिलने को है
जिन पेड़ों पर हमने अपने नाम खरो
शहर की सड़कें उन पेड़ों से मिलने को है
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