October 12, 2013

ज़िंदगी के साथ चलता रहा कोई

ज़िंदगी के साथ चलता रहा कोई
हंसता रहा कोई रोता रहा कोई

एक पुरानी किताब महक उठी
पन्नों मे फूल दबा गया कोई

कोई इतना खामोश है तो क्यों
उस से जाने क्या कह गया कोई

यहाँ दोस्तों से इतनी दूर आ गये
क्या वहाँ हमे पूछता होगा कोई

सवाल ऐसे की जवाब बेमानी लगें
ये किस मकाम पे छोड़ गया कोई

क्या है इस ज़िंदगी का सबब
मिलाओ उस से जो जानता हो कोई
 

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