मोहब्बत के पंछी जिन पेड़ों को छोड़ जाते हैं
बहारों के मौसम उन रिश्तों को छोड़ जाते हैं
अनमोल हैं वो लम्हे जब रिश्तों के नाम नहीं होते
अकसर रिश्तों को नाम छोड़ जाते हैं
मौसम जो तालाब को कमल दे गए
वही रुके पानी में दुर्गंध छोड़ जाते हैं
गाँठ लग चुकी इस में ये पहले सा न रहा
इस रिश्ते को अब यहीं छोड़ जाते हैं
भोपाली को कोई और शहर रास नहीं आयेगा
उसका एक हिस्सा झील किनारे छोड़ जाते हैं
बहारों के मौसम उन रिश्तों को छोड़ जाते हैं
अनमोल हैं वो लम्हे जब रिश्तों के नाम नहीं होते
अकसर रिश्तों को नाम छोड़ जाते हैं
मौसम जो तालाब को कमल दे गए
वही रुके पानी में दुर्गंध छोड़ जाते हैं
गाँठ लग चुकी इस में ये पहले सा न रहा
इस रिश्ते को अब यहीं छोड़ जाते हैं
भोपाली को कोई और शहर रास नहीं आयेगा
उसका एक हिस्सा झील किनारे छोड़ जाते हैं