जो अपनी किस्मत खुद लिख पाते
जो चाही क्या वो हर चीज़ पाते ?
आसमान को हाथों से नापा कई बार
पर होते तो क्या वो गहराई छु पाते ?
इज़हार की हर कोशिश अधूरी रही
वो पहल करते तो क्या कह पाते ?
दोस्तों के हज़ार एब हमे मालूम हैं
हम कह दें तो क्या वो सुन पाते ?
मौकापरस्त थे तो आज यहाँ हैं
इमानदार होते तो जाने क्या पाते ?
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