ख्वाब देखने का मज़ा क्या रह जाए
ख्वाबों के सच होने की शर्त जो रखो
चेहरा उनका शर्म से गुलाबी हो जाए
चेहरे पे उनके हल्का हाथ जो रखो
हसीना हर कोई दिलरुबा हो सकती है
हसीनों के हर कदम पे दिल जो रखो
बात संवरकर अफसाना बन जाती है
बातें होठों से लेकर आँखों पे जो रखो
मुश्किल ये भी है की मैं झुकता नहीं
मुश्किलें तोड़ न दें ये अकड़ जो रखो
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