January 15, 2011

कोई नहीं जानता

मेरी दोस्ती की कोई कीमत नहीं
मुझे इस शेहेर में कोई नहीं जानता

मेरे ताज़ा ज़ख्म के हमदर्द कई
भरे ज़ख्मों का दर्द कोई नहीं जानता

उम्मीद से शुरू किया यह दिन
ख़त्म कैसे होगा कोई नहीं जानता

आज एक दोस्त को अलविदा कहा
वो फिर कब मिले कोई नहीं जानता

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