मसला हल करने जो बैठे
चमन को सरहदों से बाँट बैठे
तुम जो कुछ साथ चले
तुम्हे ही हमसफ़र मान बैठे
कश्तियाँ टूट के बिखर गयी
नाविक तिनके की आस पे बैठे
दिन में टूटा जो मजदूर
शाम को तारों की छाँव में बैठे
नायक की छवि तो उभरे
कब तक किरदार लिए बैठे
चमन को सरहदों से बाँट बैठे
तुम जो कुछ साथ चले
तुम्हे ही हमसफ़र मान बैठे
कश्तियाँ टूट के बिखर गयी
नाविक तिनके की आस पे बैठे
दिन में टूटा जो मजदूर
शाम को तारों की छाँव में बैठे
नायक की छवि तो उभरे
कब तक किरदार लिए बैठे
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