साँसों पर जोर नहीं लेकिन
हौसला क्या छीनेगा कोई
कारवां रुक गया कंही पीछे
पर राही चलता रहा कोई
क़दमों के निशां नहीं बाकी
उसकी मंजिल का नहीं पता
यहाँ से गुज़रा जो मुसाफिर
पीछे गीत छोड़ गया कोई
फूलों पर आया प्यार जिन्हें
वो तोड़ ले गए संग अपने
एक मौसम वो भी आया
उनके कांटे ले गया कोई
उनकी बातों में खुशबू है
महक जाए जो मिले उनसे
कल शाम कुछ यूँ हुआ
उन्हें महका गया कोई
सुभानअल्लाह
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