तू रहता है यहाँ इस वजह ये शहर नहीं छूटता
जाएँ और कहाँ इस वजह ये शहर नहीं छूटता
मोहल्ले में आज भी दुआ-सलाम हो जाता है
पहचाने कोई और कहाँ ये शहर नहीं छूटता
हज़ार तरकीबें की तुझे भूल जाने को मगर
दफन मेरा इश्क यहाँ ये शहर नहीं छूटता
ये खुशबू न इत्र की है न तेरे आगोश की
इन हवाओं से मिली जो ये शहर नहीं छूटता
ख़्वाबों की डोर पे उडी उम्मीदों की पतंग
अफसानों की गलियों से ये शहर नहीं छूटता
यंही ख़ाक हो जाएँ तो भी कोई याद न करे
जो मुड कर न पूछे तो भी ये शहर नहीं छूटता
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