July 25, 2011

पूछो

क्या गुजरी हम पर बीते साल तो पूछो
इतनी मुद्दत बाद मिले हो हाल तो पूछो

दम टूटा दर्द भरी सिसकियाँ निकलीं
कितने खंजर हुए सीने के पार तो पूछो

तेरी महफ़िल में आये तो दोस्तों के साथ
घर लौटे हम कितने सूने हाल तो पूछो

आशिक ख़ाक छाने तो काफिर कहते हो
उसे कब ज़रुरत मस्जिदों की ये तो पूछो

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