तुम से मिलकर हौसला मिलता है
कोई हमसे भी बेवज़ह मिलता है
आशिक़ के जनाज़े में किसी को टटोलो
हर शख्स ही एक आशिक़ मिलता है
ये बेसब्र भीड़ हर दिन कहाँ जाती है
इन्हे क्या मिले जो इन्हे सब्र मिलता है
रात जब नींद में तुझे ढूंढते हैं ये हाथ
तेरी ज़ुल्फ़ों से महका तकिया मिलता है
हमसे पूछो तो हम अपना पता देते हैं
हमशक्ल हमारा भोपाल में मिलता है