September 20, 2025

अपनी है

यहां धूल बहुत है मगर मिट्ठी अपनी है 
यहां शोर बहुत है मगर भीड़ अपनी है 

मेरी हर जीत मे शामिल लोग बहुत हैं 
हर हार मगर केवल मेरी अपनी है  

जब दूसरों के सपने अपने हो गए 
उन्हें पूरा करने की ज़िम्मेदारी अपनी है 

खूबसूरत रास्ते देखती है मंज़िल नहीं 
माना बहकी हुई है मगर नज़र अपनी है 

जो सोये हुए हैं, छोड़ो, उन्हें सोने दो 
हम जागे हुए हैं, लो, ये सुबह अपनी है 

बिना सरहदों की दुनियाँ हम मांगते हैं
ऊँची दीवारों में घिरी मगर कोठी अपनी है

इतना दूर चले आये हैं इस रस्ते पर हम 
इस पर ही चलते रहेंगे मजबूरी अपनी है 

अब फूलों को देखने कोई नहीं रुकता
बगिया में खिली हर काली मगर अपनी है

भोपाली कई बरस हुए परदेसी हो गया 
मगर वो शहर अपना वो गालियाँ अपनी है


November 30, 2022

हवस के चश्मे से नित बदलता रंग दिखता है

हवस के चश्मे से नित बदलता रंग दिखता है 

जो रंगीन दिखता था वो अब बेरंग दिखता है


तस्वीर नहीं बताती सूरज उग रहा या ढल रहा 

बदलते समय के साथ बदलता हाल दिखता है


इतनी दूर तक चले की मंज़िल बेमानी हो गयी

सफर में जो सीखा बस वही अनमोल दिखता है 


मुड़कर जो देखूं तो गलतियाँ साफ़ दिखती हैं

उन्हें करनेवाला मैं नहीं कोई और ही दिखता है


बताते हैं खुले में निकलना अब सेहतमंद नहीं 

अब घर के अंदर हर मौसम एक सा दिखता है


जिस्म पर पड़ी रंगीन धूल जब हटेगी तो देखना   

भोपाली कल जैसा था आज वैसा ही दिखता है 

February 06, 2021

भोपाल का ध्यान

Attempting to translate, and paraphrase for my home town, the iconic "Georgia on my mind" famously rendered by Ray Charles. You can read more about the song on Wikipedia, and look up the original lyrics/words here.

भोपाल, भोपाल 
दिन भर का यही बयान 
जब एक मधुर गीत पुराना
कराये भोपाल का ध्यान

अमा भोपाल, भोपाल 
एक गीत जो जुड़ा तुझसे 
मीठा, यूँ भेद कर पहुँचा 
चिनार के बीच चंद्रमा जैसे

कई बाहें मुझ तक पहुँचती हुई 
कई आँखें मंद मुसकाती हुई 
सपनों में सुकून मिलता है देखकर 
राहें मुझे तुझ तक ले जाती हुई 

अमा भोपाल, भोपाल
नहीं मिलता मुझे सुकून का निशान
जब एक मधुर गीत पुराना
कराये भोपाल का ध्यान

April 06, 2020

फैसला किया है

तुमसे दूर रहने का फैसला किया है 
बड़ा मजबूर होकर फैसला किया है

तुम्हे अपना हक़ समझने लगा था
अब कद्र करने का फैसला किया है

ये मर्ज़ है नज़दीकियों से फैलता है
दूर से साथ देने का फैसला किया है

परेशानियों का हल मैं नहीं जानता
कोशिश करने का फैसला किया है

जिन रास्तों पर दौड़ना छोड़ दिया
फूलों ने खिलने का फैसला किया है

थोड़ी रौशनी या बहुत उम्मीद जो भी
एक दिया जलाने का फैसला किया है

अब तो फुरसत भी है हाथ भोपाली
कहो क्या करने का फैसला किया है

January 19, 2020

उनसे कहने को कुछ न रहा

उनसे कहने को कुछ न रहा
ये रिश्ता जो था वो न रहा

वो मंदिर धोता, मस्जिद भी
वो किसी धर्म का अब न रहा

शामें सोचते गुज़र जाती हैं
दौर पुराना क्यों और न रहा

गुमनाम आशिक़ कई हुए
हर एक नाम मशहूर न रहा

कुछ तेरा झूठ कुछ मेरा झूठ
सच बेचारा किसी का न रहा

जितना नज़र देख पाती है
पार उसके नज़रिया न रहा

थोड़ा-थोड़ा गलत हुआ बड़ा
तेरा चुप रहना ठीक न रहा

उसे मसीहा जब मान लिया
मुझ पर अब कोई भार न रहा

सर झुकाकर गुज़रे तमाम उम्र
भोपाली तेरा कंही चर्चा न रहा

January 02, 2020

कल की सुबह

न हो प्रेम पर सियासत
न प्रेम करना मुसीबत
न हो सवाल रंग, लिंग और मत
कल की सुबह भोपाली
बस प्रेम हो इंसां की विरासत

ये सरहदें कल न थी न होंगी
ये मसीहा कल न थे न होंगे
क्या सही-गलत जो हम न होंगे
ये चेहरे आज की छपाई हैं 
कल सूरतों पर रंग नये होंगे

जहाँ डर वहां समाज कैसा
जहाँ झूठ वो अखबार कैसा
मरे मज़दूर वो बाज़ार कैसा
आज कागज़ी पहचान जो हो
कल इंसान हो इंसान जैसा

न छोटे को डर हो बड़े का 
न बड़े को डर हो छोटे का 
बंद हो व्यापार भय का
हम सुनें भी और सुनने भी दें
कल मोल हो कम कहने का

शुरुआत बड़ी न हो, पर हो
उम्मीद पक्की न हो, पर हो
हिम्मत पूरी नहीं, पर हो
छोटे क़दमों से तय बड़े फासले
कल पहला कदम रास्ते पर हो

December 30, 2019

जगाया विश्वास [Imagine Dragons - Believer]

Attempting a translation of the band Imagine Dragons' song, "Believer". You can find that actual lyrics in English by searching for it in Google.

पहली बात पहले  
कहने वाला हूँ हर शब्द जो सर में है मेरे 
जोश में हूँ मैं और थक गया हूँ जिस तरह के हाल हैं यहाँ, ओह ऊह
जिस तरह के हाल हैं यहाँ, ओह ऊह

दूसरी बात दूजी
तुम मत मुझे बताओ तुम सोचते हो क्या मेरे बस की
मैं हूँ संभाले बादबान, मैं हूँ शाह-ऐ-समंदर
मैं हूँ शाह-ऐ-समंदर

टूटा हुआ था मैं छोटी उम्र से 
ले गया अपनी उदासी लोगों तक 
लिखी मेरी कविताएं उनके लिए
जिन्होंने देखा मुझे, समझा मुझे, झगझोड़ा मुझे, महसूस किया मुझे 
गाया हृदय वेदना को, दर्द को
लेकर नसों में दौड़ते संदेश को
कहे मेरे सबक मेरी समझ से
देखा सुंदरता को
दर्द से !

तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास
दर्द से, दर्द से
तुम ने तोड़ा मुझे, तुम ने जोड़ा मुझे, जगाया विश्वास, जगाया विश्वास
दर्द से
ओह  चलने दो गोलियाँ, ओह  बरसने दो उन्हें
मेरा जीवन, मेरा प्रेम, मेरा जुनून, सब आया है
दर्द से
तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास 

तीसरी बात तीजी
प्रार्थना ऊपर वाले से
सारा ये द्वेष जो सुन रहे हो आप, कर गया भरोसे को कमज़ोर
आप पर भरोसे को ऊपर वाले, ओह ऊह 

मैं घुट रहा था भीड़ में
थामे अपनी बारिशों को मेघ में
जो गिरीं जैसे राख बन ज़मीन पर
चाहा मेरी भावनाओं को ले चलें डुबो कर
पर हुआ नहीं, वो सदा रहीं, उतरतीं, बहतीं
संकुचित, सीमित
फिर तोड़कर सब को, वो बरस पड़ीं
बरस पड़ीं
दर्द से

तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास
दर्द से, दर्द से
तुम ने तोड़ा मुझे, तुम ने जोड़ा मुझे, जगाया विश्वास, जगाया विश्वास
दर्द से
ओह  चलने दो गोलियाँ, ओह  बरसने दो उन्हें
मेरा जीवन, मेरा प्रेम, मेरा जुनून, सब आया है
दर्द से
तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास 

आखिरी बात आखिर
अग्नि और ज्वालाओं के आशीर्वाद से
तुम भविष्य की सूरत हो, मेरी रगों का खून, ओह ऊह 
मेरी रगों का खून, ओह ऊह 
पर हुआ नहीं, वो सदा रहीं, उतरतीं, बहतीं
संकुचित, सीमित
फिर तोड़कर सब को, वो बरस पड़ीं
बरस पड़ीं
दर्द से

तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास
दर्द से, दर्द से
तुम ने तोड़ा मुझे, तुम ने जोड़ा मुझे, जगाया विश्वास, जगाया विश्वास
दर्द से
ओह  चलने दो गोलियाँ, ओह  बरसने दो उन्हें
मेरा जीवन, मेरा प्रेम, मेरा जुनून, सब आया है
दर्द से
तुम ने जगाया मुझ में, तुम ने जगाया मुझ में विश्वास, विश्वास