April 26, 2009

यादों की मुट्टी खोलो

मुझे भूलना बहुत आसान है
कोशिश कर के देखो ज़रा
जज़्बात वक्त का मेहमान है

पिंजडा खोलो, पंछी उड़ जाएगा
जब यादों की मुट्टी खोलोगी
मेरा हर निशान मिट जाएगा

न सोचो क्या होगा बिन मेरे
तुम सावन, पथझड बसेरा मेरा
सोचो क्या होगा संग मेरे

आयेंगे हसीं मोड़ रस्ते में कई
ख्वाबों में जियोगी यूँ ही कब तक
साथ देंगे तुम्हारा हमसफ़र कई

मान लो एक दौर था जो गुज़र गया
रास्ता भटक आ पहुँचा था तेरे द्वार
मोसम था एक, जो अब बदल गया

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