Thanks for stopping by !
तुमने जो छुआ, उमीदों ने छु लियामहक उठा बदन, रंग गए ख्वाबख्यालों ने कविता का रूप ले लिया
मौसम बदल सा गया जो तुमनेछेडा एक गीत भूला सा, जैसेहवाओं ने खोया सुर पहचान लिया
की यूँ भी होता है एक शक्स केजीवन में आ जाने से किसी केइस बात को आज जान लिया
No comments:
Post a Comment