July 25, 2011

पूछो

क्या गुजरी हम पर बीते साल तो पूछो
इतनी मुद्दत बाद मिले हो हाल तो पूछो

दम टूटा दर्द भरी सिसकियाँ निकलीं
कितने खंजर हुए सीने के पार तो पूछो

तेरी महफ़िल में आये तो दोस्तों के साथ
घर लौटे हम कितने सूने हाल तो पूछो

आशिक ख़ाक छाने तो काफिर कहते हो
उसे कब ज़रुरत मस्जिदों की ये तो पूछो

July 02, 2011

ये शहर नहीं छूटता

तू रहता है यहाँ इस वजह ये शहर नहीं छूटता
जाएँ और कहाँ इस वजह ये शहर नहीं छूटता

मोहल्ले में आज भी दुआ-सलाम हो जाता है
पहचाने कोई और कहाँ ये शहर नहीं छूटता

हज़ार तरकीबें की तुझे भूल जाने को मगर
दफन मेरा इश्क यहाँ ये शहर नहीं छूटता

ये खुशबू न इत्र की है न तेरे आगोश की
इन हवाओं से मिली जो ये शहर नहीं छूटता

ख़्वाबों की डोर पे उडी उम्मीदों की पतंग
अफसानों की गलियों से ये शहर नहीं छूटता

यंही ख़ाक हो जाएँ तो भी कोई याद न करे
जो मुड कर न पूछे तो भी ये शहर नहीं छूटता