इस होली कुछ ऐसा रंगो सखी
सारा सूनापन गुलाल हो जाए
मेरी आखों से जो गिरे पानी
तेरे होटों पर, लाल हो जाए
छेडो कोई ऐसा राग सखी
दिल के कोने तक जो पहुंचे
बस नाम ही लूँ मैं तुम्हारा
और हवाओं मे संगीत भर जाए
ये गुलाल है मेरे गालों पर सखी
या छूट गई तुम्हारी उंगलियाँ
अब की होली रंगो कुछ ऐसा सखी
मैं ही तुम, तुम ही रंग हो जाए
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