फैसलों और अंजाम से बुनी ज़िन्दगी मिलेगी
घने अंधेरों मे जगमगाती ज़िन्दगी मिलेगी
तमाम ज़िन्दगी एक पांव करते रहे तप जोगी
इस उम्मीद में की वरदान में ज़िन्दगी मिलेगी
क़यामत के उस पार सजी महफिल उनकी
अब क़यामत के उस पार ही ज़िन्दगी मिलेगी
खुशियाँ वफादार हैं लौटकर वापस आएँगी
इनको जितना बांटो उतनी ज़िन्दगी मिलेगी
मुश्किलों से डर कर भागना आदत हो गयी
यूँ ही भागते हुए शायद कंही ज़िन्दगी मिलेगी
wah bahut khub,
ReplyDeletekya likha hai,
"kayamat ke us par sazi hai mehfil unki,
ab kayamat ke us par hi zindagi milegi"
wonderful..