यादों की बगिया सींचता रहा ऐ दिल
मौसम फिर से बेरंग जाता रहा ऐ दिल
क़दमों को बढाकर गिनता रहा ऐ दिल
सफर बस उतना ही कटता रहा ऐ दिल
साहिब मकान ऊँचा करता रहा ऐ दिल
पंछी पेड़ पर घोसला बुनता रहा ऐ दिल
हर मौसम नया वादा करता रहा ऐ दिल
क्या करे जो मौसम बदलता रहा ऐ दिल
दिन वो भी थे हौसला साथ रहा ऐ दिल
अब टूट गए, वक्त रोंद्ता रहा ऐ दिल
वो डरा हुआ लड़का चलता रहा ऐ दिल
मैं जेब मे बटुआ ढूँढता रहा ऐ दिल
आपमें तो हर शेर मतला में लिखा है
ReplyDeleteआप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा
आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
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वीनस केसरी