June 03, 2009

सफर बस उतना ही कटता रहा ऐ दिल

यादों की बगिया सींचता रहा ऐ दिल
मौसम फिर से बेरंग जाता रहा ऐ दिल

क़दमों को बढाकर गिनता रहा ऐ दिल
सफर बस उतना ही कटता रहा ऐ दिल

साहिब मकान ऊँचा करता रहा ऐ दिल
पंछी पेड़ पर घोसला बुनता रहा ऐ दिल

हर मौसम नया वादा करता रहा ऐ दिल
क्या करे जो मौसम बदलता रहा ऐ दिल

दिन वो भी थे हौसला साथ रहा ऐ दिल
अब टूट गए, वक्त रोंद्ता रहा ऐ दिल

वो डरा हुआ लड़का चलता रहा ऐ दिल
मैं जेब मे बटुआ ढूँढता रहा ऐ दिल

1 comment:

  1. आपमें तो हर शेर मतला में लिखा है

    आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा

    आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
    जहाँ गजल की क्लास चलती है आप वहां जाइए आपको अच्छा लगेगा

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    आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये


    वीनस केसरी

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