पलकों पर रखे इतने ख्वाब
सच करो इन्हें तो बोझ कम हो
बहुत दिन हुए मंदिर गए हुए
दोस्तों से मिलो जो वक़्त कम हो
हंसी से खरीदी कर रहे हैं आज
सौदा नहीं बुरा जो नोट कम हो
रात बर्फ का कालीन बिछा गयी
पांव रखें उस पर जो इमां कम हो
सच करो इन्हें तो बोझ कम हो
बहुत दिन हुए मंदिर गए हुए
दोस्तों से मिलो जो वक़्त कम हो
हंसी से खरीदी कर रहे हैं आज
सौदा नहीं बुरा जो नोट कम हो
रात बर्फ का कालीन बिछा गयी
पांव रखें उस पर जो इमां कम हो